महापौर अन्नू स्वतंत्र नहीं, दिख रहे अपने विधायकों के आगे मजबूर, विधायकों के चहेतों को बनाना पड़ा एमआईसी सदस्य, देखिए यह खबर - India2day news

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गुरुवार, 18 अगस्त 2022

महापौर अन्नू स्वतंत्र नहीं, दिख रहे अपने विधायकों के आगे मजबूर, विधायकों के चहेतों को बनाना पड़ा एमआईसी सदस्य, देखिए यह खबर



हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर) मध्यप्रदेश/जबलपुर।मेयर इन काउंसिल के गठन होने के बाद अब राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा होने लगी है कि महापौर बने अन्नू को स्वतंत्र होकर कार्य करने नहीं दिया जा रहा है, जिसकी प्रमुख वजह उनके ऊपर उनकी ही पार्टी के विधायकों का हस्तक्षेप माना जा रहा है, जिसके कारण वह स्वतंत्र होकर मेयर इन काउंसिल का गठन नहीं कर सकें। चर्चा तो इस बात की भी है कि वह भी अपने साथ अनुभवी व युवा चेहरों को शामिल कर शहर विकास को पंख लगाने की मंशा रखते हुए मेयर इन काउंसिल का गठन करना चाहते थे, लेकिन उन्हें स्वतंत्र होकर कार्य न करने देने की वजह से इस तरह से मेयर इन काउंसिल का गठन हो सका, जिसका विरोध उनके अपने कांग्रेस विधायक संजय यादव के द्वारा किया जाने लगा है।


नगर निगम जबलपुर महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू की मेयर इन काउंसिल का गठन हुए अभी एक ही दिन बीते हैं और अब उनकी मेयर इन काउंसिल की नई टीम में शामिल नाम विवादों में आ गए हैं। दरअसल बरगी विधानसभा से कांग्रेस पार्टी के विधायक संजय यादव से मेयर इन काउंसिल के गठन के पूर्व उन्हें किसी भी प्रकार से कोई जानकारी नहीं दी गई, न ही उनके क्षेत्र के एक भी पार्षद को मेयर इन काउंसिल में शामिल किया गया, जिसको लेकर वह भड़क उठे।

पार्टी के नेताओं पर भड़के  विधायक
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बरगी विधानसभा के कांग्रेस विधायक संजय यादव ने अपनी ही पार्टी पर निशाना साध दिया है, दरअसल मंगलवार को मेयर इन काउंसिल की मीटिंग में कांग्रेस पार्टी के 3 विधायकों को बुलाया गया था, लेकिन संजय यादव को मेयर इन काउंसिल की मीटिंग में नहीं बुलाया गया, जिसको लेकर संजय यादव ने अपनी अनदेखी का कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि शायद मुझे इस पार्टी का विधायक नहीं माना जाता है, इसलिए बुलाना उचित नहीं समझा, जिसको लेकर वह अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से स्थानीय नेताओं के ऊपर भड़क उठे और उन्होंने इस बात को लेकर मीडिया में भी बयान जारी कर दिया है।

कांग्रेस ने अपने ही विधायक की अनेदखी
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मेयर इन काउंसिल के गठन में एक ओर जहां कांग्रेसी विधायकों की बीच मची खींचतान उजागर हो गई है, तो वहीं पार्षदों में भारी असंतोष देखा जा रहा है, विधायकों में तो इस कदर गुटबाजी दिखी कि एमआईसी के गठन के लिए आयोजित की गई विधायकों की बैठक में कांग्रेस के एक विधायक को न तो न्यौता भेजा गया, न ही उनके विधानसभा क्षेत्र के वार्ड से जीतकर आए पार्षद को मेयर इन काउंसिल में जगह दी गई, जबकि एक ऐसी विधानसभा से चुनकर आए पार्षद को महापौर परिषद में शामिल किया गया है, जहां कांग्रेस का विधायक ही नहीं है, हालांकि इसके पीछे जातिगत आरक्षण को साधने का तर्क दिया जा रहा है।

इन विधानसभा क्षेत्रों के यह पार्षद बने एमआईसी सदस्य
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महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू की एमआईसी में सबसे ज्यादा पार्षद पश्चिम विधानसभा के वार्डों से शामिल किए गए हैं, यहां से चार पार्षदों में शेखर सोनी, मनीष महेश पटेल, हेमलता सिंगरौल व दिनेश तामसेवार को एमआईसी में शामिल किया गया है, तो वहीं पूर्व विधानसभा से तीन गुलाम हुसैन, एकता गुप्ता, जितेंद्र सिंह ठाकुर व उत्तर मध्य से दो अमरीश मिश्रा व शुगुफ्ता उस्मानी और पनागर विधानसभा लक्ष्मी गोंटिया को मेयर इन काउंसिल में शामिल किया गया है। यदि स्वच्छता एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विभाग को छोड़ दिया जाए तो वजनदार और मलाईदार विभाग भी पश्चिम और पूर्व के पार्षदों को ही मिले हैं।

यह कहता है अधिनियम
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गौरतलब है कि नगर निगम अधिनियम 1956 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए महापौर जब चाहें वर्तमान में शामिल किए गए एमआईसी सदस्यों को अलग कर दूसरे सदस्यों को मेयर इन काउंसिल में शामिल कर सकते हैं। हालांकि ऐसा सदस्यों के परफार्मेंस व विशेष परिस्थितियों को देखकर किया जाता है, लेकिन इसके अधिकार महापौर पद में निहित होते हैं।

वरिष्ठ व अनुभवी पार्षदों को नहीं मिली जगह
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वहीं अगर मेयर इन काउंसिल की टीम को देखा जाए तो इनमें से 10 में केवल चार ही पार्षद पूर्व के अनुभवी पार्षद हैं, शेष 6 पार्षद पार्टी नेता या पूर्व पार्षद के परिवार से हैं, तो वहीं किसी की रिश्तेदारी है, उनको मेयर इन काउंसिल में स्थान दिया गया और अनुभवी, वरिष्ठ पार्षदों व युवाओं को मेयर इन काउंसिल में स्थान नहीं दिया गया। जिसको लेकर कांग्रेस के पार्षदों में अंदरूनी तौर पर आक्रोश बना हुआ है।

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